एक नहीं हज़ारों बार यह कलम एक ही आवाज़ पुकारती जय हो तुम्हारी भारती , जय हो तुम्हारी भारती ।। एक नहीं हज़ारों बार यह कलम एक ही आवाज़ पुकारती जय हो तुम्हारी भारती , जय हो तुम...
हे ! जगत गुरु ! जगत पिता ! अब "नीरज" को "तुम्हारी याद" सताने लगी। हे ! जगत गुरु ! जगत पिता ! अब "नीरज" को "तुम्हारी याद" सताने लगी।
आओ हम इस महाभूमि का, विश्व से परिचय पुनःकराएं। आओ हम इस महाभूमि का, विश्व से परिचय पुनःकराएं।
विनय-भाव को तू अपना ले, गुरु सेवा को हृदय में बसा ले। विनय-भाव को तू अपना ले, गुरु सेवा को हृदय में बसा ले।
बिसरा सारे अंधियारे को नव प्रकाश से नाता जोड़ें। बिसरा सारे अंधियारे को नव प्रकाश से नाता जोड़ें।
जीने दो मुझे सारी दीवारें तोड़ के। जीने दो मुझे सारी दीवारें तोड़ के।